स्वैच्छिक नहीं तो फिर आलाकमान के आदेश को दरकिनार कर किस दबाव में विधायकों ने दिए इस्तीफे?

पायलट के विरुद्ध अशोक गहलोत के समर्थन में बीती 25 सितंबर को कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे से जुड़े मामले में विधानसभा सचिव की तरफ से हाईकोर्ट में दिए हलफनामे में कहा गया है कि इन 81 विधायकों के इस्तीफे स्वैच्छिक नहीं थे, इसलिए इन्हें मंजूर नहीं किया गया, अगली सुनवाई 13 फरवरी को, विधानसभा स्पीकर की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने की पैरवी

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Hearing in the High Court on the resignation of 81 Congress MLAs. प्रदेश में बीती 25 सितंबर को सीएम अशोक गहलोत समर्थक 81 कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे से जुड़े मामले में विधानसभा सचिव की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट में जवाब पेश किया गया. खास बात यह है कि विधानसभा सचिव की तरफ से हाईकोर्ट में दिए हलफनामे में कहा गया है कि इन 81 विधायकों के इस्तीफे स्वैच्छिक नहीं थे, इसलिए इन्हें मंजूर नहीं किया गया. उपनेता प्रतिपक्ष और वरिष्ठ बीजेपी नेता राजेंद्र राठौड़ की याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट चीफ जस्टिस पंकज मित्थल की बेंच में सुनवाई हुई. विधानसभा सचिव के जवाब पर अब राजेंद्र राठौड़ को जवाब देना है, जिसके चलते मामले में अगली सुनवाई 13 फरवरी को होगी. विधानसभा स्पीकर की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पैरवी की, जिसके चलते हाईकोर्ट में सुबह शुरू हुई सुनवाई को रोककर दोपहर 2.30 बजे शुरू हुई दुबारा सुनवाई. वहीं सियासी गलियारों में अब चर्चा इस बात की है कि अगर इन विधायकों के इस्तीफे स्वैच्छिक नहीं थे, तो पार्टी आलाकमान के विधायक दल की बैठक के आदेश को दरकिनार कर किसके और किस दबाव में आकर इन विधायकों ने सौंप दिए अपने इस्तीफे?

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विधानसभा सचिव द्वारा पेश किए गए जवाब में स्पीकर ने इस्तीफे वापसी का कारण बताते हुए लिखा है कि सभी विधायकों ने अलग-अलग मेरे सामने पेश होकर स्वैच्छिक रूप से इस्तीफे वापस लिए जाने के प्रार्थना-पत्र पेश किए हैं. प्रार्थना पत्रों में यह साफ उल्लेख किया है कि उनके द्वारा पहले दिए गए इस्तीफे स्वैच्छिक नहीं थे. सभी विधायकों ने राजस्थान विधान सभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन संबंधी नियम 173 ( 4 ) के अनुसार स्वैच्छिक रूप से अपने इस्तीफे वापस लिए हैं. यह मामला 10वीं अनुसूची का नहीं, मंत्री और विधायकों के इस्तीफों का है, इसलिए इसमें चार सप्ताह में फैसला करने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू नहीं होता.

विधानसभा स्पीकर ने इन इस्तीफों पर फैसला लेने में देरी का कारण बताते हुए अपने जवाब में बताया है कि विधानसभा सदस्यों की प्रक्रिया और कार्य संचालन संबंधी नियम 173(3) के अनुसार इस्तीफे तब तक स्वीकार नहीं किए जाएंगे, जब तक उनका स्वैच्छिक और वास्तविक होने का अध्यक्षीय समाधान नहीं हो जाता. स्पीकर ने कहा कि हर विधायक ने अलग-अलग इस्तीफे नहीं दिए थे, बल्कि सामूहिक रूप से इस्तीफे पेश किए गए थे. इसमें छह विधायकों ने खुद पेश होकर 81 विधायकों के इस्तीफे दिए थे, जिसमें 5 विधायकों के इस्तीफे की फोटोकॉपी थी. इसके कारण पूरी संतुष्टि और जांच-पड़ताल के बाद ही फैसला करना जरूरी था.

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आपको बता दें, 25 सितंबर को विधानसभा स्पीकर के सामने संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल, सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी, उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी, राजस्व मंत्री रामलाल जाट, कांग्रेस विधायक रफीक खान और निर्दलीय विधायक और सीएम के सलाहकार संयम लोढ़ा खुद सहित 81 विधायकों के इस्तीफे स्पीकर सीपी जोशी के पास लेकर गए थे. इसमें जिन पांच विधायकों ने फोटोकॉपी वाले इस्तीफे दिए थे, उनमें से तीन विधायक पहले पायलट कैंप में थे और सियासी संकट के समय गहलोत के साथ आए थे. इनमें चेतन डूडी, दानिश अबरार और निर्दलीय सुरेश टाक शामिल हैं. गहलोत समर्थक अमित चाचाण (नोहर, हनुमानगढ़) और गोपाल मीणा (जमुआ रामगढ़, जयपुर) ने भी फोटोकॉपी वाला इस्तीफा सौंपा था. खास बात यह कि जिन 81 विधायकों ने इस्तीफा दिया था, उनमें बीजेपी से निष्कासित विधायक शोभारानी कुशवाह (धौलपुर) भी शामिल थीं.

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वहीं सोमवार शाम से सोशल मीडिया पर इस्तीफा देने वाले विधायकों की सूची वायरल हो रही है, जिसके अनुसार अमित चाचाण, अशोक, गंगा देवी, जगदीश चंद्र, गोविंद राम, टीकाराम जूली, दानिश अबरार, दीपचंद, निर्मला सहरिया, पानाचंद मेघवाल, प्रमोद जैन भाया, प्रशांत बैरवा, बीडी कल्ला, भंवर सिंह भाटी, भजनलाल जाटव, महेश जोशी, रफीक खान, लाखन सिंह, शांति धारीवाल, बाबूलाल नागर, ओपी हुडला, सुरेट टांक, बाबूलाल नागर,अमीन खान, अशोक चांदना, इंदिरा, किशना राम विश्नोई, कृष्णा पूनिया, गायत्री त्रिवेदी, चेतन डूडी, प्रीति शक्तावत, गणेश घोघरा, नगराज, परसादी लाल, भरोसी लाल, मंजू देवी, रामलाल मीना, जितेंद्र सिंह, जेपी चंदेलिया, जोगिंद्र सिंह अवाना, जौहरी लाल मीना, मनोज कुमार, मीना कंवर, मेवाराम जैन, रमेश चंद मीना, राजेंद्र पारीक, राजेंद्र सिंह यादव, रोहित बोहरा, लालचंद कटारिया, विनोद कुमार, सुखराम विश्नोई, मनीषा पंवार, ममता भूपेश, महेंद्र चौधरी, महेंद्र सिंह मालवीय, सुभाष गर्ग, आलोक बेनीवाल, खुशवीर सिंह, महादेव सिंह, राजकुमार गौड़, लक्ष्मणा मीना, मदन प्रजापत, दयाराम परमार, पदमा राम, प्रताप सिंह खाचरियावास, गोपाल मीना, रामलाल जाट, रुपाराम, विजय पाल मिर्धा, उदयलाल आंजना, अमीनुद्दीन कागजी, अर्जुन सिंह बामणिया, संदीप कुमार, सुदर्शन रावत, हकमा अली खान, हीराराम, शोभारानी कुशवाह, संयम लोढ़ा और वाजिब अली ने अशोक गहलोत के समर्थन में अपने इस्तीफे विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी को सौंपे थे.

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