पार्टी से ज्यादा गहलोत ने पुत्र मोह को तवज्जो दी. कांग्रेस पार्टी के हत्यारे तो इस बैठक में बैठे है और वैभव गहलोत की हार की जिम्मेदारी तो पायलट लें. ये वो मीडिया की पिछले दिनों सुर्खियां थी जिससे लोग गहलोत के सीएम पद से रवानगी के कयास लगाने लग गए थे. परिणाम के बाद लगातार गहलोत के खिलाफ ये खबरें मीडिया में आ रही है. ऐसे में गहलोत समर्थकों का दावा है कि उनके खिलाफ खबरें प्लांट करने की सुनियोजित साजिश को अंजाम दिया जा रहा है .
ताजा विवाद गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने के रुप में सामने आया है. खबर आई कि अशोक गहलोत को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा रहा है और प्रदेश की कमान उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को सौंपी जाएगी. लेकिन जानकारों की माने तो इस खबर में जरा भी दम नहीं है. क्योंकि गहलोत और उनके समर्थकों को पूर्ण भरोसा है कि वो पांच साल सीएम रहेंगे और कहीं नहीं जाने वाले.
गहलोत ने हाल ही में बीकानेर हाऊस का दौरा करके औऱ सीएम हाऊस में शिफ्ट होकर साफ इसके संकेत भी दे चुके हैं. हालांकि यह जरुर है कि प्लांटेड न्यूज से गहलोत परेशान जरुर है. उन्हें यह भी पता है कि ये खबरे कौन प्लांट करा रहा है.
इससे पहले गहलोत का एक निजी चैनल को दिए गए इंटरव्यू से भी जमकर बवाल मच गया था. गहलोत के चैनल पर बोले गए कुछ शब्दों को लेकर हैडलाइंस बना दी थी. वैभव गहलोत की हार की जिम्मेदारी वाले बयान के एक अंश को तवज्जो देते हुए खबरें प्लांट हो गई. जबकी इंटरव्यू में गहलोत हार की सामूहिक जिम्मेदारी होने का दावा साफ कर रहे थे.
ताज्जुब की बात है कि गहलोत के खिलाफ सूत्रो के हवाले से पहले एक मीडिया संस्थान खबर चलाता है. बाद में मीडिया संस्थान लपकते हुए उसमें तड़का लगाते हुए जान डालने की कोशिशें करते है. नाराज राहुल गांधी की अशोक गहलोत से नहीं मिलने की खबरें लगातार 20 दिन सुर्खियों में रही. परेशान गहलोत को जन्मदिन के दिन राहुल गांधी से मिलकर न चाहते हुए भी खबरों का खंडन करवाना पड़ा.
अशोक गहलोत संदेश और मैसेज की सियासत करते है. जैसी खबरें चल रही है, उनसे बेखबर गहलोत फिलहाल बजट तैयार करने और विधानसभा सत्र की तैयारी में जुटे हुए हैं. गहलोत को पता है कि खबरें पूरे पांच साल शायद ऐसी ही चलती रहेगी लेकिन उनकी सेहत औऱ सियासत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला. लिहाजा गहलोत चिर-परिचित अपने अंदाज में मंद्ध मंंद्ध मुस्कराते हुए ऐसी खबरों को पढ रहे है.