बिना सहारे नहीं चल पा रहा आसाराम, सब उम्मीदें टूटने के बाद अब कोरोना ने तोड़ा असुमल का हौसला!

क्या टूट रहा है आसाराम, लाखों की आस्था के सहारे को अब चाहिए सहारा, सभी दरवाजे बंद होने से टूटी आस के बाद कोरोना ने तोड़ी शारीरिक ताकत, पहल उछलते कूदते मंच पर दौड़ लगाते थे बाबा, अब पुलिस वालों के सहारे से चल पा रहा, लेकिन अभी भी भक्तों के जोश में नहीं आई है कमी

बिना सहारे नहीं चल पा रहा असुमल
बिना सहारे नहीं चल पा रहा असुमल

Politalks.News/Rajasthan. क्या अब असुमल उर्फ आसाराम बापू टूट चुका है. क्या कोरोना ने आसाराम को तोड़ दिया है. नाबालिग के यौन शोषण के मामले में जोधपुर जेल में आजीवन कारावास की सजा भोग रहा 80 साल का आसाराम कोरोना होने के बाद से लगातार स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से घिरा हुआ है. गुरुवार को जब उसे जिला न्यायालय में पेश किया गया तो वह कमजोर नजर आ रहा था. आसाराम में अब इतनी ताकत नहीं रही कि वह अपने बल पर चल पाए. वह पुलिसवालों के सहारे चलता दिखा. पुलिस की गाड़ी से उतर कर अदालत में जाने तक पुलिसकर्मियों को आसाराम को सहारा देना पड़ा. इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि अब आसाराम की हालत ठीक नहीं है. वैसे आसाराम का विवादों से पुराना नाता रहा है. उन पर कई तरह के आरोप लग चुके हैं लेकिन फिर भी उनके समर्थक का जोश कम नहीं हुआ है. समर्थक उन्हें पाक-साफ मानते हैं और उनकी पूजा तक करते हैं. पिछले काफी वक्त से आसाराम जेल में हैं लेकिन उनके समर्थक उन्हें रिहा करने की ना केवल ऑनलाइन अपील करते रहते हैं बल्कि अक्सर प्रदर्शन भी करते रहते हैं. रक्षाबंधन पर फिर से जोधपुर जेल के बाहर असुमल के समर्थकों का जमावड़ा लगने वाला है.

पहले पुलिस वालों से चलते थे आगे, अब चाहिए सहारा
अदालत पहुंचा आसाराम अपने स्वास्थ्य को लेकर परेशान नजर आया. वह पुलिसवालों से कह रहा था कि डॉ. अरुण त्यागी जी से कब कहेंगे इलाज के लिए, तो एक पुलिसवाले ने कहा कि आप कोर्ट में कहो. कोर्ट ऑर्डर देगा तो डॉ. अरुण त्यागी जी आएंगे. आसाराम बेहद धीमी गति से चलता हुआ कोर्ट में गया. कुछ समय पहले जब आसाराम को जेल से बाहर लाया जाता था तो वह खुद पुलिस के वाहन से नीचे उतरता और आराम से चलकर कोर्ट तक पहुंचा था. लेकिन 5 मई को कोरोना की चपेट में आने के बाद से वह शारीरिक रूप से टूट चुका है.

चलने के लिए चाहिए सहारा, या व्हील चेयर

रेप को आरोप में जेल में बंद आसाराम में अब इतनी ताकत नहीं रही कि वह अपने पैरों से चल पाए. या तो आसाराम पुलिसवालों के सहारे चलता है या पुलिस की गाड़ी से उतर कर अदालत में जाने तक पुलिसकर्मियों को आसाराम को सहारा देना पड़ता है, अब आसाराम का सहारा केवल व्हील चेयर ही बची है.

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टूट चुका है पर आयुर्वेदिक उपचार की नहीं छोड़ी रट

आसाराम शुरू से ही आयुर्वेदिक उपचार लेता रहा है. जब उसे गिरफ्तार किया गया तो उसे आयुर्वेदिक दवाएं देने के लिए उसकी वैद्य नीता जोधपुर आई थी. यौन शोषण के मामले की सुनवाई के दौरान उसे एकबार आयुर्वेद विश्वविद्यालय में भर्ती करवाया गया था. सजा मिलने के बाद अब बीमार होने पर कोर्ट के निर्देश पर उसे जोधपुर में भी आयुर्वेद उपचार दिया जा रहा है. उसका उपचार डॉक्टर अरुण त्यागी कर रहे हैं. हालांकि कोरोना के बाद से उसे एम्स में भी नियमित चेकअप के लिए ले जाया जाता है. जहां पर आसाराम ने कई बार अंग्रेजी दवा लेने से भी इनकार किया है. वर्तमान में उसे यूरिन इन्फेक्शन और पेट से जुड़ी परेशानियां हैं.

सभी उम्मीद खत्म होने के बाद टूटने लगा आसाराम!

इधर मामले में दोषी पाए जाने के बाद अब आसाराम की आस टूटती जा रही है. कोर्ट द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद आसारम ने अपनी सजा कम करवाने के लिए राज्यपाल कल्याण सिंह के पास दया याचिका भेजी थी लेकिन उनकी इस आखिरी उम्मीद पर भी पानी फिर गया. सब और से ना उम्मीद हो चुके आसाराम अब बुरी तरह टूट चुके हैं. 5 मई को आसाराम को कोरोना होने के बाद तो उनके शरीर ने भी अब तो साथ छोड़ दिया है. काफी कमजोर हो चुके आसाराम अब अपने पैरों से चल भी नहीं पा रहे हैं. उनको चलने के लिए सहारा लेना पड़ रहा है. इनता सब होने के बावजूद भी उनके समर्थकों का जोश ठंडा नहीं पड़ा है. आसाराम के समर्थक अब भी उनको देखने के लिए उमड़ पड़ते हैं. आने वाले रक्षाबंधन पर भी पुलिस को जेल के बाहर काफी मशक्कत करनी पड़ेगी. इधर, आसाराम ने पिछले कुछ दिन पहले मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था कि, ‘वह खुद का दर्द तो भुगत सकते हैं लेकिन भक्तों का दर्द उनसे सहा नहीं जाता है.

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कौन हैं असुमल उर्फ आसाराम

आसाराम का जन्म 1941 में पाकिस्तान के सिंध इलाके में हुआ था. उनका असली नाम असुमल हरपलानी है. विभाजन के बाद परिवार अहमदाबाद में बसा तो असुमल भी साथ आए. 20 बरस की उम्र से ही उनका रूख आध्यात्म की ओर हो गया. लीलाशाह उनके गुरू बने और असुमल हो गए आसाराम.

ऐसे बढ़ता रहा आसाराम का साम्राज्य

अहमदाबाद के पास मुटेरा कस्बे में आसाराम ने पहला आश्रम खोला. धीरे-धीरे इलाके के लोग उनके पास आने लगे और उनकी ख्याति फैलने लगी. 400 आश्रम और 4 करोड़ अनुयायी होने का दावा करने वाले आसाराम के पास नेता भी पहुंचने लगे और अभिनेता भी. उनके जलवे की स्थिति ये थी कि पीएम और सीएम तक उनसे मिलने के लिए उनके आश्रम में पहुंचते थे.

आसाराम के आगे राजनीतिज्ञ रहते थे नतमस्तक 

आसाराम के प्रवचनों को सुनने के लिए जो भीड़ पहुंचती थी, नेताओं की नजरें उस भीड़ पर जा टिकीं. इस भीड़ को नेता वोट में बदलना चाहते थे और यही कारण था कि हर पार्टी के नेता इन प्रवचनों में दिखाई देने लगे. लेकिन जब आसाराम पर गंभीर आरोप लगे तो सभी नेताओं से उनसे किनारा करना ही सही समझा.

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आसाराम पर क्या था आरोप

उत्तर प्रदेश की एक नाबालिग लड़की द्वारा कथित तौर पर आसाराम पर जोधपुर के बाहरी इलाके में स्थित अपने आश्रम में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाए जाने के बाद उन्हें 2013 में गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद उन्हें इंदौर से लाया गया और जोधपुर केंद्रीय कारागार में रखा गया. कोर्ट ने इस मामले में आसाराम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही अन्य मामलों की सुनवाई अभी जारी है.

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