लोकसभा में आज राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (संशोधन) विधेयक 2019 को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और हैदराबाद सांसद और एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी आमने-सामने हो गए. यहां तक की ओवैसी ने अमित शाह पर विपक्ष को डराने-धमकाने का आरोप तक जड़ दिया. इस पर जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि आपके जेहन में डर बैठा है तो मैं क्या करूं. इसी कड़ी नौकझोंक के बीच एनआईए (संशोधन) पास हो गया. बिल के समर्थन में 278 और विपक्ष में केवल 6 वोट पड़े. बिल के संशोधन प्रारूप में देश से बाहर किसी अनुसूचित अपराध के संबंध में मामले का पंजीकरण करने और जांच का निर्देश देने का प्रावधान किया गया है.  अब इसे राज्यसभा भेजा जाएगा.

गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने निचले सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि एनआईए संशोधन विधेयक का उद्देश्य जांच एजेंसी को राष्ट्रहित में मजबूत बनाना है. इससे पहले एनआईए बिल के लिए अमित शाह ने लंबा भाषण दिया और लोकसभा में डिवीज़न ऑफ वोट की मांग की.

जैसे ही स्पीकर ने एनआईए बिल पर वॉइस वोटिंग के लिए आवाज लगाई तो अमित शाह ने यह कहते हुए डिवीज़न ऑफ वोट की मांग की कि देश को यह जानना चाहिए कि कौन आतंकवाद के साथ है और कौन आतंकवाद के खिलाफ है. इसके बाद लोकसभा में डिवीजन ऑफ वोटिंग के बाद एनआईए संशोधन बिल को पास किया गया.

सदन में गृह मंत्री ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने वाली किसी एजेंसी को और ताकत देने की बात हो और सदन एक मत न हो, इससे आतंकवाद फैलाने वालों का मनोबल बढ़ता है. मैं सभी दलों के लोगों से कहना चाहता हूं कि ये कानून देश में आतंकवाद से निपटने में सुरक्षा एजेंसी को ताकत देगा. इतना ही नहीं हम पोटा पर चर्चा के लिए तैयार हैं.

क्या है NIA
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण या नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) भारत में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए भारत सरकार द्वारा स्थापित एक संघीय जांच ऐजेंसी है. ऐजेंसी राज्यों से विशेष अनुमति के बिना राज्यों में आतंक संबंधी अपराधों से निपटने के लिए सशक्त है. इस संशोधित बिल के पास होने से जांच एजेंसी को हथियारों की तस्करी, नशीले पदार्थों की तस्करी, मानव तस्करी और साइबर क्राइम जांच संबंधी मामलों को देखने के लिए ज्यादा अधिकार मिल गए हैं. अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को आतंकवाद, देश विरोधी गतिविधियों, मानव तस्करी तथा साइबर अपराधों की विदेश में जाकर जांच करने का अधिकार मिलेगा.

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