Politalks.News/UttarPradeshAssemblyElection. 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly election) को लेकर दल बदल की राजनीति चरम पर पहुंच चुकी है. बीजेपी (BJP) के तीन मंत्रियों सहित 14 विधायकों के सपा में शामिल होने के बाद आज भाजपा ने सपा में बड़ी सेंधमारी की है. मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh yadav) की छोटी बहू अपर्णा यादव (Aparna yadav Join BJP) ने आज तमाम अटकलों पर विराम लगते हुए बीजेपी की सदस्य्ता ग्रहण कर ली है. सूबे के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या (Keshav Prasad maurya) और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह (Swatantr Dev Singh) की मोजुदगी में अपर्णा यादव ने भाजपा की सदस्य्ता ग्रहण की. बीजेपी में शामिल होने के बाद सपा (Samajwadi Party) पर निशाना साधते हुए अपर्णा यादव ने कहा कि, ‘सपा के शासन में गुंडागर्दी को इतना तवज्जो दिया जाता है कि बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं थी.’ वहीं सियासी गलियारों में ये चर्चा भी जोरों पर है कि अपर्णा बीजेपी में शामिल जरूर हो गई लेकिन पार्टी उन्हें टिकट नहीं देना चाहती.
विधानसभा चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही उत्तरप्रदेश की सियासत गरमा गई है. बीजेपी ने मुलायम परिवार में बड़ी सेंधमारी की है. मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा यादव ने बीजपी की सदस्य्ता ग्रहण कर ली है. दिल्ली स्थित भाजपा कार्यालय में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की उपस्थिति में अपर्णा ने पार्टी की सदस्य्ता ग्रहण की. इस दौरान अपर्णा यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार जताया. उन्होंने कहा कि ‘मैं राष्ट्र की आराधना करने के लिए निकली हूं, मुझे आपका सहयोग बहूत जरूरी है. स्वच्छ भारत मिशन, महिलाओं के स्वावलंबन ओर पार्टी की अन्य योजनाओं से बहूत प्रभावित रही हूं. जो भी कर सकूंगी, पूरी क्षमता से करूंगी.’
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अपर्णा यादव ने आगे कहा कि, ‘लोकतंत्र में सभी स्वतंत्रत होकर अपनी विचारधारा से जुड़ सकते हैं. देश को बचाना है तो राष्ट्रवाद के साथ चलना है, BJP राष्ट्रवाद के लिए अग्रसर रही है. पार्टी जहां से सुनिश्चित करेगी मैं वहां से लड़ूंगी. मेरे लिए ज़रूरी है कि BJP का परचम लहराए. वहीं अपर्णा को पार्टी की सदस्य्ता ग्रहण करने के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि, ‘मैं अपर्णा यादव जी का हृदय से स्वागत करता हूं. पश्चिम यूपी में चुनाव होने वाला है और SP के शासन में गुंडागर्दी को इतना महत्व दिया जाता है कि पश्चिम उ.प्र. में कोई बेटी सुरक्षित नहीं थी. अपर्णा को शुरू से लगता था कि योगी जी के शासन में एक अच्छा सुशासन है ‘
वहीं डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने कहा कि, ‘मुलायम सिंह की पुत्रवधू होने के बावजूद भी अपर्णा यादव ने अपने विचार रखे हैं. काफी दिनों की चर्चा के बाद उन्होंने भाजपा में शामिल होने का फैसला लिया.’ पार्टी मुख्यालय में सदस्यता ग्रहण करने के बाद अपर्णा यादव ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की मुलाकात. आपको बता दें कि, ‘अपर्णा यादव मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना यादव के बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं. प्रतीक यादव को मुलायम सिंह यादव ने न सिर्फ अपनाया बल्कि उन्हें अपना नाम भी दिया. अपर्णा यादव समाजवादी पार्टी के टिकट पर 2017 में लखनऊ कैंट से टिकट दिया था लेकिन वे चुनाव हार गईं. अपर्णा यादव एक बार फिर इसी सीट से टिकट मांग रही थी लेकिन बात नहीं बनी तो वो बीजेपी में शामिल हो गई.
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अपर्णा यादव ने भले ही बीजेपी की सदस्य्ता ग्रहण कर ली है लेकिन पार्टी उन्हें लखनऊ केंट से टिकेट दे इसे लेकर अभी स्थिति साफ़ नहीं है. सियासी हलकों में ये चर्चा है कि पार्टी उन्हें लखनऊ कैंट से टिकट देकर रीता बहूगुणा जोशी को नाराज नहीं कर सकती. कांग्रेस से भाजपा में आई पूर्व कैबिनेट मंत्री रीता बहूगुणा जोशी भी इस सीट से अपने बेटे के लिए टिकट मांग रही हैं. रीता बहूगुणा जोशी इस सीट से लगातार जीतती रही हैं. 2017 में इस सीट से जीत दर्ज करने के बाद 2019 में लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए जोशी ने यह सीट छोड़ दी थी. वहीं उपचुनाव जीतने वाले मौजूदा बीजेपी विधायक सुरेश चंद्र तिवारी भी यहां से टिकट के मजबूत दावेदार हैं. ऐसे में बीजेपी भी अब पशोपेश में हैं कि क्या करे?
वहीं राजनीतिक गलियारों में एक चर्चा ये भी है कि, बीजेपी ने अपर्णा यादव को टिकट नहीं देना चाहती है. बीजेपी चाहती है कि वो संगठन में रह कर काम करें और चुनाव के बाद उन्हें विधान परिषद भेज दे. अपर्णा यादव को टिकट ना देने का एक कारण यह भी माना जा रहा है कि अगर भाजपा अपर्णा को टिकट देती है तो अखिलेश यादव अपने उपर लगे परिवारवाद के आरोपों से बच जाएंगे और जनता के बीच ये संदेश जाएगा कि 2017 में अखिलेश ने अपर्णा को टिकट दिया था लेकिन इस बार नहीं दिया इसलिए वो बीजेपी से टिकट लेने पहुंच गई. साथ ही सपा जनता के बीच ये संदेश पहुंचाने में भी सफल हो जायेगी कि वो इस बार नई सपा है और इसमें परिवार की जगह कार्यकर्ता को तरजीह दी जाती है.