Politalks.News/Bihar/TejashwiYadav. बिहार में विधानसभा चुनाव के बाद गुरुवार को हुई महागठबंधन की बैठक में राजद नेता तेजस्वी यादव ने 130 सीटों पर जीत का दावा करते हुए कई सीटों पर धांधली का आरोप लगाया. हिलसा समेत कई सीटों पर डाक मतपत्रों को रद्द किए जाने का आरोप लगाते हुए तेजस्वी ने पांच सीटों पर पुनर्मतगणना की मांग की थी. हिलसा विस सीट पर जीत-हार का अंतर सिर्फ 12 वोट का था. अब चुनाव आयोग ने तेजस्वी के धांधली वाले दावे को खारिज करते हुए हिलसा सीट पर जदयू की जीत को क्लीन चिट दे दी है. इस पर बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) एचआर श्रीनिवास ने पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए कहा कि रिटर्निंग अधिकारियों ने ‘तर्कपूर्ण आदेश’ पारित किया है. चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद महागठबंधन की बची कुची आशाओं को एक बड़ा झटका लगा है.
दरअसल, विपक्षी महागठबंधन के नेता तेजस्वी (Tejashwi Yadav) ने भारी संख्या में डाक मतपत्रों को रद्द किए जाने का आरोप लगाते हुए पुनर्मतगणना की मांग की थी. राजद नेता नेता ने यह भी आरोप लगाया था कि कुछ सीटों पर डाक मतपत्रों की गिनती बाद में की गयी जबकि इसकी गिनती सबसे पहले की जाती है. इसके बाद बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) एचआर श्रीनिवास ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि हिलसा विधानसभा क्षेत्र का चुनाव परिणाम निर्वाचन आयोग द्वारा उल्लेखित प्रक्रिया के अनुसार घोषित किया गया है.चुनाव आयोग ने तेजस्वी के धांधली वाले दावे को खारिज किया है. इससे पूर्व सीईओ ने आज बिहार विधानसभा के सभी 243 नवनिर्वाचित सदस्यों की सूची राजभवन जाकर राज्यपाल फागू चौहान को सौंप दी है.
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श्रीनिवास ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों में से 11 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां जीत का अंतर 1,000 मतों से कम था. उन्होंने कहा कि 11 विधानसभा क्षेत्रों में से जदयू ने 04, राजद ने 03, भाजपा, लोजपा, भाकपा और निर्दलीय ने एक-एक सीट जीती है. सीइओ ने कहा कि इन 11 विधानसभा सीटों में से, उम्मीदवारों या चुनाव एजेंटों ने छह निर्वाचन क्षेत्रों में वोटों की ‘फिर से गिनती’ कराने की मांग की थी.
उन्होंने कहा कि रिटर्निंग अधिकारियों ने ‘तर्कपूर्ण आदेश’ पारित करते हुए पांच सीटों पर जीत के लिए पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया. नालंदा जिले के हिलसा निर्वाचन क्षेत्र में जीत का अंतर (12 मत) अस्वीकृत डाक मतपत्रों (182) की तुलना में कम होने के कारण फिर से गिनती की याचिका स्वीकार कर ली गई. हिलसा में जदयू के उम्मीदवार को महज 12 वोटों से जीत मिली, जबकि ‘अस्वीकार किए गए पोस्टल बैलेट’ की संख्या 182 थी, जबकि पांच निर्वाचन क्षेत्रों- रामगढ़, मटिहानी, भोरे, डेहरी और परबत्ता में- जीत का अंतर ‘अस्वीकृत पोस्टल मतपत्र’ से अधिक था.
श्रीनिवास ने कहा कि 18 मई, 2019 को ईसीआई द्वारा जारी किए गए नवीनतम निर्देशों के अनुसार, हिलसा के मामले में ऐसा किया गया. उन्होंने कहा कि रिटर्निंग ऑफिसर ने हिलसा में पूरे डाक मतपत्रों की फिर से गिनती की और इस संबंध में एक तर्कपूर्ण आदेश पारित किया गया. एक प्रश्न के उत्तर में, सीईओ ने कहा कि उनका कार्यालय संबंधित दस्तावेज और वीडियोग्राफी की प्रति संबंधित पार्टी/पार्टियों को उपलब्ध कराएगा.
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सीईओ श्रीनिवास ने यह भी स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग की गाइडलाइन में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि मतगणना केंद्र के अंदर कौन मोबाइल फोन ले जा सकता है. उन्होंने कहा कि ईवीएम से मतों की गिनती डाक मतपत्रों की गिनती के 30 मिनट के बाद शुरू होती है और उसके बाद मतगणना अलग-अलग हॉलों में एक साथ चलती है जिसकी वीडियोग्राफी भी होती है.
बता दें, बिहार विस चुनावों में महागठबंधन को एनडीए के हाथों हार मिली है. 243 सीटों वाली विधानसभा में एनडीए को जहां 125 सीटें मिली, वहीं महागठबंधन को 110 सीटों पर संतोष करना पड़ा. राजद को 75, बीजेपी को 74, जदयू को 45 और कांग्रेस ने 19 सीटों पर कब्जा जमाया. वामदलों ने 16, वीआईपी और मांझी की पार्टी हम को चार चार, जबकि ओवैसी की पार्टी को पांच और बसपा को एक सीट पर जीत मिली. कई सीटों पर 500 से भी कम वोटों का अंतर रहने के बाद तेजस्वी यादव ने महागठबंधन की बैठक में धांधली का आरोप लगाया जिसे आज चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया.