सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए प्रतिवर्ष सम्पत्ति की घोषणा करना अनिवार्य- सीएम गहलोत ने दिए निर्देश

इससे सरकारी कामकाज में पारदर्शिता आएगी तथा आय से अधिक सम्पत्ति के मामलों को उजागर करने में एसीबी को मदद भी मिलेगी, एसीबी हेल्पलाइन 1064 का हो व्यापक प्रचार-प्रसार, ट्रेप के मामले में राजस्थान देश में दूसरे नम्बर पर

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Politalks.News/Rajasthan. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने निर्देश दिए हैं कि सरकारी कार्मिकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में अभियोजन स्वीकृति देने को लेकर निर्धारित समयावधि में निर्णय करने की पुख्ता व्यवस्था कायम की जाए. अभियोजन स्वीकृति में देरी से भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के मनोबल पर नकारात्मक असर पड़ता है और भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन मिलता है. सीएम गहलोत ने ब्यूरो को भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त कार्रवाई करने के निर्देश देते हुए कहा कि सरकार के संवेदनशील, पारदर्शी एवं जवाबदेह सुशासन देने के संकल्प में एसीबी की बड़ी भूमिका है. ब्यूरो अपनी इंटेलीजेंस विंग को और अधिक चौकस बनाकर अधिक मजबूती के साथ काम करे.

सरकारी कर्मचारियों की सम्पत्ति की घोषणा अनिवार्य

इसके अलावा मुख्यमंत्री गहलोत ने निर्देश दिए कि अखिल भारतीय सेवा, राज्य सेवा सहित राजपत्रित अधिकारियों द्वारा प्रतिवर्ष की जाने वाली ऑनलाइन सम्पत्ति की घोषणा को सभी सरकारी कार्मिकों के लिए भी अनिवार्य किया जाए. इससे सरकारी कामकाज में पारदर्शिता आएगी तथा आय से अधिक सम्पत्ति के मामलों को उजागर करने में एसीबी को मदद भी मिलेगी. सीएम गहलोत ने कहा सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए मुख्य सतर्कता अधिकारी लगाने की व्यवस्था को पुख्ता बनाया जाए.

मंगलवार को मुख्यमंत्री आवास पर वीसी के माध्यम से हुई एसीबी के कामकाज की समीक्षा बैठक के दौरान सीएम गहलोत ने निर्देश दिए कि विभागीय स्तर पर अभियोजन स्वीकृति में देरी होने पर मुख्य सतर्कता आयुक्त के पास प्रकरण भेजने की व्यवस्था को स्थानीय निकायों के कार्मिकों के लिए भी लागू किया जाए. कोविड-19 के चुनौतीपूर्ण समय में भी लगातार प्रभावी कार्रवाई करने के लिए ब्यूरो के अधिकारियों-कर्मचारियों को बधाई दी.

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एसीबी हेल्पलाइन 1064 का हो व्यापक प्रचार-प्रसार

मुख्यमंत्री गहलोत ने भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत के लिए एसीबी की हैल्पलाइन 1064 के अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार पर जोर दिया. इसके लिए सीएम गहलोत ने अधिकारियों को निर्देश कि सभी सरकारी कार्यालयों में इस हैल्पलाइन की जानकारी देने वाले पोस्टर चस्पा किए जाएं. शिकायतकर्ता का नाम गुप्त रखा जाए और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को उचित संरक्षण दिया जाए ताकि भविष्य में उन्हें किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े. बैठक में बताया गया कि करीब तीन माह में ही इस हैल्पलाइन पर आय से अधिक सम्पत्ति, पद के दुरूपयोग तथा रिश्वत मांगने की 1107 शिकायतें प्राप्त हुई हैं. इसके आधार पर ब्यूरो को ट्रेप की 25 कार्रवाई करने में भी सफलता मिली है.

एसीबी की समीक्षा बैठक में मौजूद मुख्य सचिव राजीव स्वरूप ने कहा कि राज्य सरकार ने एसीबी को बेहतर कामकाज के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने में कोई कमी नहीं रखी है. आय से अधिक संपत्ति के मामलों की तफ्तीश में सहयोग के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट के पैनल तथा विधिक सहयोग के लिए अति. राजकीय अधिवक्ता की नियुक्ति को भी मंजूरी दी गई है.

ट्रेप के मामले में राजस्थाब देश में दूसरे नम्बर पर

एसीबी महानिदेशक आलोक त्रिपाठी ने बताया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ राज्य सरकार की नीति जीरो टॉलरेंस की रही है। इसी को आधार मानते हुए एसीबी ने पिछले करीब पौने दो साल में ट्रेप की 500 से अधिक कार्रवाई अंजाम दी है. इस मामले में राजस्थान देशभर में दूसरे स्थान पर है. उन्होंने कहा कि ट्रेप के प्रकरणों में सजा का औसत 54 प्रतिशत रहा है.

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