खान विभाग एवं निर्माण विभाग के ठेकेदारों की बकाया राशि के लिए एमनेस्टी स्कीम को मिली मंजूरी

मुख्यमंत्री गहलोत का बड़ा फैसला, योजना जारी किये जाने की तिथि से तीन माह तक रहेगी प्रभावी, निस्तारित प्रकरणों के बकाया के संबंध में किसी न्यायालय में चुनौती नहीं, अवधि के हिसाब से जमा करानी होगी प्रकरणों में राशि, रॉयल्टी की दुगनी राशि अतिरिक्त जमा करवाने पर सम्पूर्ण ब्याज राशि होगी माफ

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

Politalks.News/Rajasthan. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को राहत भरा बड़ा फैसला लेते हुए खान विभाग में डेडरेंट, रॉयल्टी, शास्ति, रॉयल्टी वसूली ठेकों ओर अल्पावधि अनुमति पत्र के बकाया प्रकरणों और निर्माण विभाग के ठेकेदारों की बकाया राशि के लिए एमनेस्टी स्कीम लाने को मंजूरी दे दी है. यह योजना जारी किये जाने की तिथि से तीन माह तक प्रभावी रहेगी. इस योजना का लाभ प्रशासनिक विभाग की ओर से बकायादार को देने के लिए समुचित प्रयास करने के साथ ही न्यूनतम 90 प्रतिशत बकाया राशि की वसूली किया जाना भी सुनिश्चित किया जाएगा.

मिली जानकारी के अनुसार, स्थिरभाटक, अधिशुल्क, अधिक अधिशुल्क, शास्ति, आरसीसी और ईआरसी ठेकों की बकाया, एसटीपी और निर्माण विभाग के ठेकेदारों की बकाया और अन्य विभागीय बकाया के प्रकरणों पर यह योजना लागू होगी लेकिन 31 प्रधान खनिज जिन्हें भारत सरकार की 10 फरवरी 2015 की अधिसूचना से अप्रधान खनिज घोषित किया गया है के प्रकरणों में इस तिथि से पूर्व की बकाया पर यह योजना लागू नहीं होगी.

निस्तारित प्रकरणों के बकाया के संबंध में किसी न्यायालय में चुनौती नहीं

इस योजना में वे प्रकरण शामिल होंगे जिनमें खनन पट्टों ठेकों की बकाया और एसटीपी निर्माण विभाग के ठेकेदारों की बकाया को लेकर मांग कायमी के आदेश 31 मार्च 2019 तक जारी हो चुके हैं. योजना में ऎसे प्रकरणों पर भी विचार किया जा सकेगा, जिनमें बकायादार ने न्यायालय से अपना वाद वापस ले लिया हो और इस आशय की अंडरटेकिंग प्रस्तुत करें कि वह इस योजना के तहत निस्तारित प्रकरणों की बकाया के संबंध में किसी न्यायालय में चुनौती नहीं देगा.

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बता दें, योजना का लाभ उन्हीं बकायादारों को देय होगा, जिनके द्वारा जमा करवाई जाने वाली राशि योजना के लागू होने की तिथि से प्रभावी रहने तक जमा करवा दी जाएगी. योजना आदेश जारी होने की तिथि के बाद शेष बकाया पर ही लागू होगी. पूर्व में जमा करवाई गई राशि उस समय के दायित्वों के अधीन मानी जाएगी एवं उसका समायोजन योजना में नहीं होगा. अगर किसी बकायादार ने पहले ही समस्त बकाया की मूल राशि जमा करवा दी है और केवल ब्याज शेष है तो ब्याज राशि संबंधित खनिज अभियंता या सहायक खनिज अभियंता की ओर से माफ की जा सकेगी.

अवधि के हिसाब से जमा करानी होगी प्रकरणों में राशि

प्रकरणों का निस्तारण संबंधित खनिज अभियंता अथवा सहायक खनिज अभियंता कर सकेगा. इसके लिए निर्धारित प्रारूप में जमा करवाई गई राशि, माफ की गई मूल और ब्याज राशि का विवरण अंकित किया जाएगा. खनन पट्टा और ईंट भट्टा परमिट के 31 मार्च 1980 तक के बकाया के प्रकरणों में मूल बकाया का 10 प्रतिशत, 1 अप्रैल 1980 से 31 मार्च 1990 तक के प्रकरणों में 20 प्रतिशत, 1 अप्रैल 1990 से 31 मार्च 2000 तक के प्रकरणों में 30 प्रतिशत, 1 अप्रैल 2000 से 31 मार्च 2010 तक के प्रकरणों में 50 प्रतिशत तथा 1 अप्रैल 2010 से 31 मार्च 2019 तक के प्रकरणों में मूल बकाया का 70 प्रतिशत राशि जमा करवानी होगी.

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रॉयल्टी की दुगनी राशि अतिरिक्त जमा करवाने पर सम्पूर्ण ब्याज राशि होगी माफ

नियमों की पालना नहीं करने और माइनिंग प्लान, पर्यावरण स्वीकृति और कंसेंट टू ऑपरेट से अधिक उत्पादन करने पर लगाई गई अवैध खनन शास्ति के विरुद्ध रॉयल्टी की दुगनी राशि अतिरिक्त जमा करवाने पर शेष मूल राशि एवं संपूर्ण ब्याज राशि माफ की जा सकेगी. इसी प्रकार आरसीसी एवं ईआरसीसी ठेकों की बकाया के मामलों में जो ठेके खंडित किए गए एवं जो पूरी अवधि तक प्रभावशील रहे, उनमें 31 मार्च 2011 तक के बकाया पर क्रमशः 50 प्रतिशत और 60 प्रतिशत तथा 1 अप्रैल 2011 से 31 मार्च 2019 तक के प्रकरणों में क्रमशः 70 एवं 80 प्रतिशत मूल बकाया की राशि जमा करवानी होगी. एसटीपी एवं निर्माण विभाग के ठेकेदारों के विरूद्ध 31 मार्च 2019 तक लगाई गई शास्ति के प्रकरणों में यदि देय रॉयल्टी के तीन गुना राशि जमा करा दी जाती है तो शेष मूल राशि एवं समस्त ब्याज राशि माफ की जा सकेगी.

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