योगी के ‘चक्रव्यूह’ में फंसे अखिलेश, नामांकन के दिन ही भाजपा ने 17 सीटों पर पलट दी सपा की बाजी

भाजपा ने ऐसा सियासी दांव चला कि नामांकन के दिन ही 75 में से 17 जिला पंचायत अध्यक्षों की जीत सुनिश्चित भी कर दी, वहीं समाजवादी पार्टी ने एक सीट इटावा पर ही बाजी मारी, 29 जून को नाम वापसी के बाद बची हुई सीटों पर 3 जुलाई को होगा मतदान

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Politalks.News/UttarPradesh. देश में प्राचीन कहावत है- ‘दूध का जला छाछ भी फूंक मार कर पीता है‘, यह कहावत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए एकदम सटीक बैठती है. दो महीने पहले अप्रैल में हुए पंचायत चुनाव में भाजपा समाजवादी पार्टी से ‘पिछड़‘ गई थी. पंचायत चुनाव के परिणामों के बाद योगी सरकार में आंतरिक कलह खुलकर सामने आई, यही नहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिल्ली दरबार में भी पंचायत चुनाव में हुई पार्टी की हार का जवाब देना पड़ा था. ऐसे में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले हाईकमान ने जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 50 से 60 सीटें जीतने का ‘लक्ष्य‘ दे दिया.

पंचायत चुनाव में मिली भाजपा की हार के बाद मुख्यमंत्री योगी इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव विपक्षी समाजवादी पार्टी को ‘सबक‘ सिखाने के लिए तैयार बैठे थे. इसके लिए पिछले दिनों भाजपा संगठन महामंत्री बीएल संतोष और प्रदेश प्रभारी राधामोहन सिंह के साथ मुख्यमंत्री योगी ने लंबी बैठक भी की थी. ‘वैसे जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव सत्ताधारी पार्टी के लिए हमेशा फायदे में रहे हैं, ‌इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि प्रदेश में जिसकी पार्टी की सरकार होती है माना जाता है प्रशासनिक अमला भी उसी के इशारे पर काम करता है‘.

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बीते दिन 26 जून, शनिवार से शुरू हुए यूपी जिला पंचायत अध्यक्ष के पहले दिन ही भाजपा ने समाजवादी पार्टी को अपने ‘चक्रव्यूह‘ में पूरी तरह से फंसा लिया. प्रदेश में अगले साल होने वाले विधान सभा चुनाव से पहले सूबे की सत्ता का सेमीफाइनल माने जा रहे जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने शानदार शुरुआत की है. बता दें कि शनिवार को 75 जिलों में हो रहे जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के नामांकन की आखिरी तारीख थी, मगर ज्यादातर जगहों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में इसे लेकर जमकर ‘घमासान‘ हुआ. लेकिन ‘भाजपा ने ऐसा सियासी दांव चला कि नामांकन के दिन ही 75 में से 17 जिला पंचायत अध्यक्षों की जीत सुनिश्चित भी कर दी‘. वहीं समाजवादी पार्टी ने एक सीट इटावा पर ही बाजी मारी.

बता दें कि अप्रैल में आयोजित हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में सपा कई जगह बीजेपी के पाले में ‘सेंधमारी‘ में कामयाब हुई थी. इस बार योगी सरकार के ‘गणित‘ में सपा पहले दिन ही बुरी तरह उलझ कर रह गई. इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने खास मंत्रियों की ड्यूटी भी अधिकांश जिलों में लगा रखी थी. इस सियासी उलटफेर के बाद योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर एक बार फिर से ‘मुस्कान‘ लौट आई है . बता दें कि शनिवार को हुए नामांकन में कुल 164 प्रत्याशियों ने पर्चा दाखिल किया, जिसमें से 6 प्रत्याशियों के नामांकन पत्र जांच के बाद रद्द कर दिए गए. 29 जून को नाम वापसी के बाद बची हुई सीटों पर 3 जुलाई को मतदान होगा.

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यहां बने भाजपा के प्रत्याशी निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष
बता दें कि 18 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर प्रत्याशियों का चुना जाना तय हो गया है. अब बाकी 57 जिलों में चुनाव के जरिए ही जिला पंचायत अध्यक्ष चुने जाएंगे. जहां चुनाव होने हैं, 57 सीटों में 41 ऐसी हैं, जिनमें दो प्रत्याशियों के ही बीच मुकाबला होना है, जबकि 11 सीटें ऐसी हैं, जहां पर त्रिकोणीय मुकाबला होगा. भदोही में सबसे ज्यादा पांच उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं तो चार सीटों में चार-चार प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. हालांकि चुनावी घमासान अभी और बढ़ने के आसार हैं. जिला पंचायत अध्यक्ष के नामांकन में सत्ताधारी बीजेपी का चुनावी प्रबंधन विपक्षी दलों पर भारी पड़ा नामांकन के बाद बीजेपी की चुनावी ‘रणनीति‘ कामयाब होती दिख रही है. हालांकि विपक्ष चुनाव में सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगा रहा है. वहीं ‘कई जिलों में सपा और दूसरे दलों का संगठन ही बीजेपी के पक्ष में आ गया’. इससे गुस्साए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने 11 जिला अध्यक्षों की छुट्टी कर दी है. वहीं बसपा ने सहारनपुर से अपने घोषित उम्मीदवार को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से निकाल दिया है.

सपा और आरएलडी ने बीजेपी पर सत्ता का लाभ लेकर पुलिस-प्रशासन की मदद से जीत हासिल करने का आरोप लगाया है. वहीं बीजेपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले इसे बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा था. आइए आपको बताते हैं 17 सीटों पर जहां भाजपा के प्रत्याशी निर्विरोध जीते हैं. भाजपा के आगरा से मंजू भदौरिया, गाजियाबाद से ममता त्यागी, मुरादाबाद से डॉ. शेफाली सिंह, बुलंदशहर से डॉ. अंतुल तेवतिया, ललितपुर से कैलाश निरंजन, मऊ से मनोज राय, चित्रकूट से अशोक जाटव, गौतमबुद्ध नगर से अमित चौधरी, श्रावस्ती से दद्दन मिश्रा, गोरखपुर से साधना सिंह, बलरामपुर से आरती तिवारी, झांसी से पवन कुमार गौतम, गोंडा से घनश्याम मिश्रा, मेरठ से गौरव चौधरी, बांदा से सुनील पटेल, वाराणसी से पूनम मौर्या तथा अमरोहा से ललित तंवर जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए हैं. समाजवादी पार्टी अपना गढ़ इटावा बचाने में सफल रही है, जहां पर अखिलेश यादव के चचेरे भाई अभिषेक यादव उर्फ अंशू के खिलाफ किसी ने भी नामांकन नहीं किया. जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव की ओपनिंग में ही मिली भाजपा को भारी बढ़त के बाद योगी सरकार उत्साहित है.

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