PM सुरक्षा में चूक पर कैप्टन ने फिर की राष्ट्रपति शासन की मांग, इस सियासी ‘बालहठ’ को लेकर चर्चाएं तेज

पंजाब में चुनावी घमासान, केप्टन भाजपा और ढींढसा के साथ ठोक रहे हैं ताल, किसी भी कीमत पर कांग्रेस को हराना चाहते हैं कैप्टन! हर मुद्दे पर कर रहे हैं राष्ट्रपति शासन की मांग, केप्टन की इस मांग को लेकर सियासी चर्चाएं

कैप्टन की 'बालहठ'
कैप्टन की 'बालहठ'

Politalks.News/Punjab. प्रधानमंत्री मोदी (PM Narendra Modi) की सुरक्षा में चूक (PM’s security lapse) के मामले को लेकर भाजपा कांग्रेस पर जबरदस्त तरीके से हमलावर है. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain amrinder singh) ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक की घटना के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है. अमरिंदर ने कहा कि, ‘चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) के नेतृत्व वाली सरकार राज्य में कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने में पूरी तरह विफल रही है’. पंजाब के सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि कैप्टन जब से कांग्रेस से अलग हुए हैं जब से कई बार प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर चुके हैं. सियासी दिग्गजों के अनुसार कैप्टन किसी बच्चे की तरह राष्ट्रपति शासन का बालहठ लगाए बैठे हैं. इसके पीछे उनकी मंशा क्या है इसको लेकर कई सियासी चर्चाएं हो रही हैं. चर्चा यह भी है कि राष्ट्रपति शासन लगाकर वो परोक्ष रूप से सरकार में भागीदारी चाह रहे हैं!

फिरोजपुर में पीएम मोदी भाजपा-कैप्टन और ढींढसा की पार्टी की संयुक्त रैली को संबोधित करने वाले थे. पंजाब में इस रैली को इस गठबंधन के चुनावी शंखनाद के रूप में देखा जा रहा था. लेकिन हुसैनीवाला के पास सड़क जाम में प्रधानमंत्री का काफिला फंस गया, जिसके बाद वह रैली को संबोधित किए बिना ही लौट आए हैं. इसके बाद कैप्टन ने तुरंत पंजाब में राष्ट्रपति शासन की मांग कर दी.

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पंजाब के सियासी गलियारों में चर्चा है कि, ‘कैप्टन अमरिंदर सिंह जब से मुख्यमंत्री पद से हटे हैं और कांग्रेस पार्टी छोड़ी है तब से वे कई बार राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर चुके हैं. कैप्टन जब भी दिल्ली में भाजपा के नेताओं और केंद्र सरकार के मंत्रियों से मिलते हैं तो राष्ट्रपति शासन की मांग करते हैं. पंजाब में इन दिनों कोई सड़क दुर्घटना भी हो जा रही है तो वे राष्ट्रपति शासन की मांग कर दे रहे हैं. इसलिए हैरानी नहीं हुई, जो प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक होने पर कैप्टन ने राष्ट्रपति शासन की मांग की.

इससे पहले लुधियाना की एक अदालत में बम विस्फोट हुआ तो अमरिंदर सिंह पहले और इकलौते नेता थे, जिन्होंने राष्ट्रपति शासन की मांग की थी. लगभग उसी समय राज्य के कुछ गुरुद्वारों में गुरू ग्रंथ साहेब की बेअदबी हुई और मॉब लिंचिंग में दो लोग मारे गए तब भी कैप्टन संभवतः इकलौते नेता थे, जिन्होंने राष्ट्रपति शासन की मांग की. इससे पहले बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने का कानून बना और राज्य सरकार ने इसका विरोध किया तब भी कैप्टन ने राष्ट्रपति शासन की मांग की.

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सियासी गलियारों में ये चर्चा है कि, ‘असल में कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस पार्टी से इतने ज्यादा आहत हो गए हैं कि किसी तरह से उसको सरकार से हटाने की इच्छा पाले हुए हैं. किसी बच्चे की तरह केप्टन ‘बालहठ’ किए हुए हैं. कैप्टन भाजपा के साथ भी इसी उम्मीद से जुड़े थे लेकिन मजे की बात यहा है कि कोई उनकी मांग पर ध्यान ही नहीं दे रहा है. कैप्टन के रणनीतिकारों का कहना है कि, ‘उनको को चुनाव नतीजों का अंदाजा है इसलिए अभी वे राष्ट्रपति शासन लगवा कर परोक्ष रूप से सरकार चलाने में अपनी भूमिका बनवाना चाह रहे हैं’

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