Politalks.News.Delhi. पैगासस जासूसी कांड के कारण संसद का मानसून सत्र हंगामे के भेंट चढ़ गया. मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि पैगासस जासूसी मामले की जांच के लिए तकनीकी कमेटी बनाई जाएगी. तो, अब इस पैगासस मामले पर विपक्षी पार्टियां क्या करेंगी? क्या संसद सत्र खत्म होने और सरकार के कमेटी बनाने की बात के साथ ही यह मामला खत्म हो गया? कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तीन दिन के लिए अपने चुनाव क्षेत्र वायनाड के दौरे पर गए हैं और उनकी बहन कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा विदेश चली गई हैं. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 20 अगस्त को जरूर विपक्षी पार्टियों की एक वर्चुअल बैठक बुलाई है, जिसमें राहुल गांधी भी शामिल होंगे लेकिन उसके आगे क्या होगा? क्या विपक्षी पार्टियां पैगासस जासूसी मामले पर कोई आंदोलन शुरू करेंगी या जिस तरह विपक्ष के लिए राफेल विमान का मामला खत्म हो गया उसी तरह यह मामला भी अब निपट गया?
नरेन्द्र मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी है कि मोबाइल फोन में सेंध लगाने वाले पैगासस स्पाईवेयर से जासूसी के आरोपों की जांच के लिए एक समिति गठित की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सरकार ने यह जानकारी दी है. जनहित याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में
एसआईटी जांच कराने की मांग भी की गई है. कई अलग-अलग संगठनों ने इसको लेकर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. कांग्रेस ने पेगासस मामले के विभिन्न पहलुओं की जांच के लिए समिति गठित करने संबंधी केंद्र सरकार के हलफनामे को लेकर सोमवार को उस पर निशाना साधा और सवाल किया कि बिल्ली दूध की रखवाली कैसे कर सकती है. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह बताना चाहिए कि क्या उनकी सरकार ने पेगासस स्पाईवेयर को खरीदा था या नहीं?
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पैगासस मामले पर संसद ठप्प करने में सक्रिय भूमिका निभाने वाले एक विपक्षी नेता का कहना है कि बिहार, झारखंड या पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में पैगासस जासूसी कांड कोई बड़ा मुद्दा नहीं है. ग्रामीण इलाकों में लोग इस मसले को नहीं समझ पा रहे हैं. यह शहरी और मध्य वर्ग के बीच यह बड़ा मुद्दा हो सकता है लेकिन उस समूह के बीच अब भी भाजपा और नरेंद्र मोदी के प्रति लगाव का भाव है. इसलिए पेगासस कोई बड़ा राजनीतिक मुद्दा नहीं है. उनका कहना है कि इसकी बजाय महंगाई, बेरोजगारी, कोरोना मिस मैनेजमेंट और किसान आंदोलन आदि को मुद्दा बनाना चाहिए. कृषि कानूनों का विरोध और किसान आंदोलन तो सबसे बड़े मुद्दे हो सकते हैं.
इस बीच तृणमूल कांग्रेस की तैयारी अलग ही है. बताया जा रहा है कि तृणमूल कांग्रेस पैगासस जासूसी मामले को चलाए रखने के पक्ष में है और इसे चुनाव में मुद्दा बनाने की तैयारी है. अगले साल जिन राज्यों में चुनाव होने हैं वहां तृणमूल का आधार नहीं है और उन राज्यों में पैगासस ज्यादा बड़ा मुद्दा नहीं रहना है. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बसपा को ही मुख्य रूप से भाजपा के खिलाफ लड़ना है और इन दोनों के लिए पैगासस कोई मुद्दा नहीं है. ये दोनों पार्टियां महंगाई और किसान आंदोलन को मुद्दा बनाएंगी. योगी सरकार की विफलता और भाजपा के खिलाफ एंटी इन्कंबैंसी पर इनकी उम्मीदें टिकी हैं.
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तभी यह देखना दिलचस्प होगा क 20 अगस्त की वर्चुअल बैठक में सोनिया गांधी और दूसरे विपक्षी नेता क्या एजेंडा तय करते हैं. यह विपक्ष की बहुत अहम बैठक है, जिसमें चार गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों के हिस्सा लेने की संभावना है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस वर्चुअल बैठक में हिस्सा लेंगे. इनमें से ममता को छोड़ कर बाकी कोई मुख्यमंत्री पैगासस को मुद्दा बनाने के पक्ष में नहीं है. कांग्रेस के पास भी इस मुद्दे पर आंदोलन छेड़ने की कोई कार्ययोजना नहीं दिख रही है. तभी कहा जा रहा है कि पार्टी अभी इंतजार करेगी और अगर इस मुद्दे पर इजराइल और फ्रांस की जांच में पैगासस को लेकर कोई तथ्य सामने आते हैं तब उस पर आगे कोई पहल की जाएगी. अब ये सब तो भविष्य के गर्भ में छिपा है.