पॉलिटॉक्स ब्यूरो. राजस्थान में 16 नवम्बर को हुए चुनाव के बाद 49 नगर निकायों के 2105 वार्डों में पार्षद के लिए 7944 उम्मीदवारों का भविष्य इवीएम मशीनों में बंद हो गया है. मतदान समाप्त होने के दूसरे दिन रविवार को राजस्थान भाजपा ने निकायों प्रमुखों यथा महापौर, सभापति और नगरपालिका चेयरमैन के लिए नामों पर मंथन किया. प्रदेश भाजपा ने निकाय चुनावों में ज्यादातर बोर्ड बीजेपी के बनने के विश्वास के साथ अब निकाय प्रमुख किसे बनाया जाए और इसके लिए क्या मापदंड होने चाहिएं, इसको लेकर प्रदेश भाजपा मुख्यालय में रविवार को एक मंत्रणा (Vasundhara Raje) बैठक की.
लेकिन बैठक में सबसे ज्यादा चर्चा का विषय रही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) की उपस्थिति. बड़े अंतराल के बाद और खासकर सतीश पूनिया के प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद यह पहली बैठक थी जिसमें मैडम राजे पूरे डेढ़ घन्टे तक बैठक में मौजूद रहीं और सभी नेताओं से प्रदेश की राजनीति पर चर्चा भी की. बैठक में भाजपा के प्रदेश सह प्रभारी वी. सतीश, संगठन महामंत्री चंद्रशेखर और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां भी मौजद रहे, जिन सभी के साथ पूर्व सीएम वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) ने राजनीतिक मुद्दों पर मंत्रणा की.
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मुख्यालय में आयोजित इस बैठक (Vasundhara Raje) के बाद प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने बताया कि पार्टी में संगठन चुनाव की तैयारियों को लेकर और 19 नवम्बर को आने वाले निकाय चुनावों के नतीजों को लेकर बैठक में संगठनात्मक और राजनीतिक चर्चा हुई. इसके साथ ही प्रदेश की कांग्रेस सरकार को घेरने वाले मुद्दों और प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव में पार्टी की रणनीति को लेकर भी इस बैठक में चर्चा की गई. बता दें, बैठक से पूर्व मुख्यमंत्री मैडम राजे के जाने के बाद सह प्रभारी वी. सतीश, चंद्रशेखर और सतीश पूनियां के बीच अलग से भी चर्चा हुई.
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वहीं बैठक के बाद मीडिया को सम्बोधित करते हुए सतीश पूनियां ने प्रदेश की गहलोत सरकार पर आरोप
लगाते हुए कहा कि यह पहली सरकार है जिस पर मजहब, धर्म, जाति और अपने वोटबैंक को सिक्योर करने के हिसाब से पुनर्सीमांकन के आरोप लगे हैं. पंचायतों में भी इन्होंने इसी आधार पर पुनर्गठन का काम किया है. लेकिन इस सरकार पर से लोगों का विश्वास अब उठ चुका है, जिसके नतीजे आने वाले दिनों में हमें देखने को मिलेंगे. (Vasundhara Raje)