पॉलिटॉक्स ब्यूरो. देश की सबसे बड़ी अदालत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) ने शनिवार को देश का सबसे बड़ा फैसला सुनाया. ये था अयोध्या में राम जन्म भूमि विवाद से जुड़ा फैसला. सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय संविधान बैंच ने विवादित जमीन को हिंदू पक्ष के ट्रस्ट को सौंपने और मुस्लिम समुदाय को मस्जिद के लिए अयोध्या में ही अन्यत्र 5 एकड़ जमीन देने का फैसला सुनाया. ये फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ये मामला बेहद संवेदनशील है. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवंबर को सेवानिवृत हो रहे हैं. ऐसे में 12, 13 और 14 नवम्बर ये केवल तीन दिन शेष हैं जिनमें तीन बड़े फैसले आने वाले हैं. इन सभी मामलों की सुनवाई भारत के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने की है.
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दरअसल, 16 और 17 नवंबर को कोर्ट की सुनवाई नहीं होगी. ऐसे में 15 नवंबर गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) का अंतिम कार्य दिवस होगा जिसमें किसी बड़े मामले पर फैसला वो देंगे नहीं. ऐसे में सोमवार, 11 नवंबर से 13 नवंबर के बीच ही उन्हें तीन बड़े मामलों पर अपना फैसला देना है. साथ ही अगर अयोध्या मामले पर कोई परिवाद दाखिल होता है तो उसकी सुनवाई भी इन्हीं तीन दिनों में करनी होगी. वैसे तो ये बैंच कभी भी यानि 15, 16 या 17 नंवबर को भी बैठ सकती है लेकिन शायद ही ऐसा हो, ऐसे संकेत लग रहे हैं.
अब आते हैं उन तीन प्रमुख फैसलों पर जो चीफ जस्टिस को सुनाने हैं. इनमें से पहला और सबसे बड़ा मामला है राफेल सौदा फैसले पर पुनर्विचार. चुनाव के वक्त सबसे बड़ा मुद्दा राफेल लडाकू विमान सौदे पर फैसला आना अभी शेष है. कोर्ट ने 36 राफेल विमालों की खरीद के सौदे की कोर्ट की निगरानी में जांच कराए जाने की मांग को खारिज कर दिया था, जिस पर भाजपा के पूर्व नेता यशवंत सिन्हा, अरूण शौरी सहित अन्य याचिकाकर्ताओं ने पुनर्विचार याचिका दाखिल कर चुनौती दी है. इसके अलावा इसी से सम्बंधित ट्रिब्यूनल एंड फाइनेंस एक्ट को चुनौती देने के मामले में भी फैसला आना है.
दूसरा बड़ा मामला है सबरीमाला मंदिर (Sabarimala Temple Case) में महिलाओं का प्रवेश, जिस पर देशभर की नजरे गढ़ी हैं. कोर्ट ने 28 सितंबर, 2018 को केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी को लिंग आधारित भेदभाव ठहराते हुए रद्द कर दिया था. महिलाओं पर ये पाबंदी उनके मासिक धर्म की वजह से थी. फैसला 4-1 के बहुमत से हुआ. इस फैसले का अयप्पा अनुयायी समेत 55 पुनर्विचार और 10 अन्य याचिकाएं कोर्ट में हैं.
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तीसरा प्रमुख मामला है सीजेआई के दफ्तर में आरटीआई (RTI in CJI Office). भारत के प्रधान न्यायाधीश यानि सीजेआई का दफ्तर सूचना कानून के दायरे में आएगा या नहीं, इस मामले में भी फैसला आना है. इस मामले में फैसला सुरक्षित रखते हुए कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि वह किसी भी व्यवस्था को अपारदर्शी बनाए रखने के पक्षधर में नहीं है लेकिन एक संतुलन कायम करने और रेखा खींचने की जरूरत है. मामले में सुप्रीम कोर्ट के प्रशासनिक छोर ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है. इससे पहले हाईकोर्ट और सीआईसी कह चुके हैं कि प्रधान न्यायाधीश का दफ्तर पब्लिक अथॉरिटी माना जाएगा और सूचना का अधिकार कानून उस पर लागू होगा.
इन तीनों मामलों के अलावा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के ‘चौकीदार चोर है’ वाले बयान और उनके खिलाफ लंबित अवमानना मामलों की सुनवाई भी सीजेआई (CJI Ranjan Gogoi) ही कर रहे हैं. भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को माफी न दिये जाने की अपील करते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि माफी काफी नहीं है, राहुल गांधी को सजा मिलनी चाहिए. वहीं राहुल गांधी ने दो बार खेद जताने और बिना शर्त माफी मांगने के बाद केस बंद करने की गुहार लगाई हुई है.