politalks news

आम आदमी पार्टी के लिए दिल्ली में राजनीतिक हालात दिनों-दिन खराब होते जा रहे हैं. आप के साथ ये समस्या है कि वो लोकसभा चुनाव की तैयारी करे या विधायकों में मची भगदड़ को रोके. गत शुक्रवार को गांधीनगर के विधायक बीजेपी में शामिल हो गए और अब आज बिजवासन विधानसभा से विधायक देवेंद्र सहरावत ने भी दिल्ली बीजेपी कार्यालय में प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू और केन्द्रीय मंत्री विजय गोयल की मौजुदगी में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली.

ये आप के लिए बड़ा झटका है. उसके तीन विधायकों ने एक सप्ताह के अंदर पार्टी का साथ छोड़ नई पार्टी जॉइन कर ली है. जिनमें दिल्ली की गांधीनगर विधानसभा के विधायक अनिल वाजपेयी ने बीजेपी और पंजाब की संदोहा रुपनगर विधानसभा के विधायक अमरजीत संदोहा ने हाल ही आप छोड़ कांग्रेस का दामन थामा है. अब आम आदमी पार्टी के साथ समस्या ये है कि वो लोकसभा चुनावों में ध्यान दे या विधायकों की भगदड़ रोके.

हाल ही आप छोड़ बीजेपी शामिल हुए वाजपेयी ने कहा कि उन्होंने आप इसलिए छोड़ी क्योंकि वह पार्टी के भीतर ‘दुर्व्यवहार और अपमान’ के चलते घुटन महसूस कर रहे थे. उन्होंने दावा किया कि राष्ट्रीय राजधानी में सत्तारूढ़ पार्टी के कई अन्य विधायक भी ऐसा ही महसूस करते हैं. ये विधायक कभी भी पार्टी का दामन छोड़ सकते है. विधायकों के इस तरह पार्टी छोड़े जाने के मामले पर नाराज बाकी एमएलए ने भी केजरीवाल पर हमले शुरू कर दिए हैं.

आपको बता दें कि आम आदमी पार्टी ने 2015 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश की 70 सीटों में से 67 पर कब्जा किया था लेकिन उसके बाद पार्टी में विवाद के बाद कई नेताओं ने पार्टी छोड़ी है, जिनकी फेहरिस्त काफी लंबी है. पहले पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, शांति भूषण ने आप को अलविदा कहा था. उसके बाद करावल नगर से विधायक कपिल मिश्रा को पार्टी से निलंबित किया गया.

अभी कुछ महीने पूर्व पंजाब में आप के निलंबित सांसद हरजिंदर सिंह खालसा ने बीजेपी का दामन थाम लिया था. आप के लिए पंजाब में तो हालात बहुत बुरे होते जा रहे हैं. वहां पार्टी को छोड़कर एक-एक कर बड़े नेता दूसरी पार्टियों का रूख कर रहे हैं. इसी तरह दिल्ली में आप विधायकों का टूटना केजरीवाल सरकार के लिए खतरे के संकेत दे रहा है. हाल ही में बीजेपी नेता विजय गोयल के बयान ने भूचाल ला दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि आप के 14 विधायक उनके संपर्क में है. अब देखने वाली बात रहेगी कि क्या ये आप विधायकों के पार्टी छोड़ने का सिलसिला 14 के आंकड़े को पार कर पाता है.

Leave a Reply