राफेल डील में 9.48 करोड़ की कमीशनखोरी-रिश्वतखोरी हुई उजागर, कांग्रेस हुई मोदी सरकार पर हमलावर

कांग्रेस पार्टी ने की राफेल डील की स्वतंत्र जांच, एफआईआर और संबंधित कदम उठाने की मांग, रक्षा खरीद में एक "इंटीग्रिटी क्लॉज" है जो कहता है कि कोई बिचौलिया नहीं हो सकता है और कमीशन या रिश्वत का भुगतान नहीं किया जा सकता है

राफेल डील में 9.48 करोड़ की कमीशनखोरी-रिश्वतखोरी हुई उजागर
राफेल डील में 9.48 करोड़ की कमीशनखोरी-रिश्वतखोरी हुई उजागर

Politalks.News/Bharat/RafaelDeal. केन्द्र सरकार द्वारा की गई बहुचर्चित राफेल डील को लेकर एक फ्रेंच पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट के बाद कांग्रेस ने एक बार फिर मोदी सरकार पर कई सवाल दागे हैं. कांग्रेस ने ने रिश्वत पाने वाले का नाम पूछते हुए निष्पक्ष जांच और कार्रवाई की मांग की है. बता दें, फ्रेंच पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस डील में एक भारतीय मध्यस्थ को 11 लाख यूरो (करीब 9.48 करोड़ रुपए) की दलाली दी गई है. इसके बाद 60 हजार करोड़ में फ्रांस से 36 राफेल खरीदने के मामले में कथित भ्रष्टाचार पर सोमवार को दिल्ली में कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मोदी सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए कहा कि राफेल खरीदी पर बिचौलिए और कमीशनखोरी को बढ़ावा दिया गया है.

प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि न खाऊंगा न खाने दूंगा का दावा करने वाली मोदी सरकार की सच्चाई उजागर हो गई है. प्रधानमंत्री मोदी ने बिना किसी टेंडर के 60 हजार करोड़ में 32 राफेल विमानों का फ्रांस से सौदा किया था. सुरजेवाला ने कहा कि अब फ्रांस की राफेल विमान बनाने वाली कंपनी द सॉल्ट ने स्वीकार किया है कि उसने भारत के साथ राफेल डील में एक मीडिलमैन को 1 मिलियन यूरो उपहार के तौर पर दिया है. सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस पार्टी सुप्रीम कोर्ट से इस पूरे मामले पर निष्पक्ष जांच की मांग करती है. हालांकि सुरजेवाला ने कहा कि सरकार के पास अब भी वक्त है इस मामले पर अपना रुख स्पष्ट करें. इसके साथ ही कांग्रेस पार्टी ने एफआईआर, स्वतंत्र जांच और संबंधित कदम उठाने की मांग करते हुए याद दिलाया कि यूपीए सरकार में अगस्ता वेस्टलेंड केस में तब के रक्षा मंत्री एके एंटनी ने पूरी प्रक्रिया का पालन किया था.

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रणदीप सुरजेवाला आगे ने कहा कि रक्षा खरीद में एक “इंटीग्रिटी क्लॉज” है जो कहता है कि कोई बिचौलिया नहीं हो सकता है और कमीशन या रिश्वत का भुगतान नहीं किया जा सकता है. सुरजेवाला ने कहा, ”मध्यस्थ या दलाली या रिश्वत का कोई सबूत होने के गंभीर नतीजे होंगे. आपूर्ति कर्ता कंपनी को बैन किया जा सकता है, कॉन्ट्रैक्ट कैंसल हो सकता है, एफआईआर दर्ज हो सकती है और भारी जुर्माना लगाया जा सकता है.”

मीडिया पार्ट में तीन सीरीज वाली रिपोर्ट के पहले हिस्से के प्रकाशन का हवाला देते हुए कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने पूछा, ”क्या डसॉल्ट की ओर से दिखाया गया 11 लाख यूरो का क्लाइंट को गिफ्ट वास्तव में मध्यस्थ को दी गई दलाली है. दो सरकारों के बीच हुई डील में या भारत में किसी भी रक्षा खरीद में अनिवार्य रक्षा प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए मध्यस्थ और कमीशन की मंजूरी की अनुमति कैसे दी जा सकती है?”

यह कहते हुए कि ताजा मीडिया रिपोर्ट ने राफेल डील को दूषित कर दिया है, सुरजेवाला ने पूछा क्या यह डसॉल्ट पर भारी आर्थिक जुर्माना, कंपनी को बैन करने, एफआईआर दर्ज करने और दूसरे दंडीय कार्रवाई नहीं होनी चाहिए? सुरजेवाला ने आगे पूछा, ”क्या भारत के सबसे बड़े रक्षा सौदे में पूर्ण और निष्पक्ष जांच की आवश्यकता नहीं है, ताकि पता लगाया जा सके कि वास्तव में कितनी रिश्वत और दलाली दी गई और यदि दी गई तो भारत सरकार में किसे? कांग्रेस पार्टी ने यह भी पूछा है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पर देश को जवाब देंगे?

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गौरतलब है कि राफेल विमान की खेप भारत में आने शुरू हो गए हैं. लेकिन इसी बीच फ्रांस की एक वेबसाइट ने राफेल नाम से एक आर्टिकल छापे हैं. इसमें दावा किया गया है कि राफेल सौदे में भ्रष्टाचार हुआ है. रिपोर्ट में लिखा गया है कि राफेल लड़ाकू विमान डील में गड़बड़ी की सबसे पहले जानकारी 2016 में फ्रांस की भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी AFA को हुई थी. AFA ने जांच में पाया कि विमान बनाने वाली कंपनी डसॉल्ट ने एक बिचौलिए को 10 लाख यूरो देने पर सहमति जताई है.

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