राज्यसभा में कृषि बिल पर हंगामा करने वाले 8 सांसद निलंबित, हंगामे के बीच सदन स्थगित

पूरे मानसून सत्र के लिए सांसदों को किया निलंबित, ममता बनर्जी और सुरजेवाला ने जताई आपत्ति, फैसले को सरकार की दुर्बल मानसिकता बताया, सदन में सांसदों का भारी हंगामा जारी

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PoliTalks.News/Delhi. मानसून सत्र के 8वें दिन राज्यसभा के शुरू होते ही सभापति वेंकैया नायडु ने किसान बिल पर हुए हंगामा को लेकर बड़ी कार्रवाई की है. सभापति ने रविवार को सदन में हंगामा करने वाले आठ सांसदों को पूरे मानसून सत्र के लिए निलंबित कर दिया है. यानि ये सांसद अब वर्तमान सत्र की कार्यवाही में भाग नहीं ले पाएंगे. राज्यसभा में रविवार को कृषि बिल पर जिस तरह विपक्षी सांसदों ने हंगामा किया, उप सभापति के समक्ष रूल बुक फाड़ा गया और चेयर का माइक तोड़ा गया, इन सभी पर सदन के सभापति वेंकैया नायडु ने नाराजगी जाहिर की. विपक्षी सांसदों ने उपसभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दिया, जिसे सभापति ने स्वीकार नहीं किया.

पर विपक्ष ने फिर से हंगामा करना शुरु कर दिया और तीन बार सदन को स्थगित करना पड़ा. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने निलंबन के फैसले को सरकार की दुर्बल मानसिकता बताया. खबर लिखे जाने तक सदन की कार्यवाही स्थगित है.

दरअसल रविवार को कृषि से संबंधित दो बिल पास हुए थे. उससे पहले उप सभापति हरिवंश सिंह ने बिल पास होने तक सदन का समय बढ़ाने की बात कही. इस पर विपक्ष के सांसदों ने इस पर नाराजगी व्यक्त की. उसके बाद भी उप सभापति महोद्य ने बहुमत के चलते सदन का समय बिल पास होने तक बढ़ा दिया जिस पर विपक्ष के कुछ सांसदों ने जमकर हंगामा किया. वे वैल तक पहुंच गए और उपाध्यक्ष के समक्ष रूल बुक फाड़ दी. अंत में भारी हंगामे के बीच किसानों से जुड़े दो बिल पास हो गए.

सोमवार को सभापति वेंकैया नायडू ने सदन की कार्यवाही शुरु करते हुए सदन में हंगामा करने वाले सांसद डेरेक ओ’ब्रायन, संजय सिंह, रिपुन बोरा, नजीर हुसैन, केके रागेश, ए. करीम, राजीव सातव और डोला सेन को पूरे मानसून सत्र के लिए निलंबित कर दिया. सभापति नायडू ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, ‘मैं डेरेक ओ’ब्रायन का नाम लेता हूं कि वे सदन से बाहर जाएं. अगर कल मार्शल्स को सही समय पर नहीं बुलाया जाता तो उपाध्यक्ष के साथ क्या होता, ये सोचकर मैं परेशान हूं. सभापति महोद्य ने ये भी कहा कि कल का दिन राज्यसभा के लिए सबसे खराब दिन था. कुछ सदस्यों के आचरण ने शिष्टाचार की सभी सीमाओं को पार कर दिया, जिससे सदन की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा.

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हालांकि निलंबन के बाद भी सभी आठों सदस्य सदन में मौजूद रहे और हंगामा करते रहे. इस पर उपसभापति हरिवंश ने कहा कि मेरा आग्रह है कि माननीय सदस्य जो 256 के तहत नामित किए गए हैं वो सदन की कार्यवाही में न रहें. राज्यसभा सांसद वी. मुरलीधरन ने कहा कि निलंबित सदस्यों को सदन में रहने का कोई अधिकार नहीं है. सदन गैर-सदस्यों की उपस्थिति में काम नहीं कर सकता है.

निलंबन के बाद सदन में हंगामा शुरु हो गया जिसके बाद राज्यसभा सभापति ने 10 बजे तक सदन को स्थगित कर दिया. उसके बाद जब सदन फिर से शुरु हुआ तो सदन को पहले 10:30 बजे तक और उसके बाद 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया. जिस तरह से सदन में हंगामा हो रहा है, लोकसभा में भी इस तरह का हंगामा देखने को मिल सकता है.

राज्यसभा में सांसदों के निलंबन मामले पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नाराजगी जताई है. ममता बनर्जी ने 8 सांसदों के निलंबन को सरकार की मानसिकता के लिए दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि किसानों के हितों की रक्षा के लिए लड़ने वाले 8 सांसदों का निलंबन चिंतनशील है जो लोकतांत्रिक मानदंडों और सिद्धांतों का सम्मान नहीं करता. उन्होंने संसद से लेकर सड़क तक फांसीवादी सरकार से लड़ने की बात कही.

वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी राज्यसभा सभापति द्वारा सांसदों के खिलाफ कार्रवाई पर सवाल उठाया है. कांग्रेस नेता ने ट्वीट कर लिखा, ‘क्या देश में संसदीय प्रणाली बची है? क्या संसद में किसान की आवाज़ उठाना पाप है? क्या तानाशाहों ने संसद को बंधक बना लिया है? क्या सत्ता के नशे में सच की आवाज़ नही सुनती? कितनी आवाज़ और दबाएंगे मोदी जी…. किसान की, मज़दूर की, छोटे दुकानदार की या संसद की…’

 

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